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Rakesh Sharma Astronaut: भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla) स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय बनने जा रहे हैं. ये मौका 41 साल बाद आ रहा है. ऐसे में ये भी जानना जरूरी हो जाता है कि भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री कौन थे? वो जब 41 साल पहले अंतरिक्ष में पहुंचे तो क्या अनुभव किया. आज से चार दशक पहले अंतरिक्ष यात्रा करना कितना सुरक्षित था? उनका इस अभियान में कैसे चयन हुआ था? उन्होंने अंतरिक्ष में रहकर क्या किया?
भारतीय वायुसेना के पायलट थे राकेश शर्मा
पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा थे. वह 3 अप्रैल 1984 को सोयूज टी-11 (SOYUZ T-11) अंतरिक्ष यान से स्पेस गए थे. उनके रॉकेट ने सोवियत संघ के बैकोनूर कॉस्मोड्रोम से उड़ान भरी थी. ये यात्रा सोवियत इंटरकॉसमॉस कार्यक्रम के तहत हुई थी. इसमें 1978 से 1991 के दौरान 17 सोवियत संघ से बाहर के लोगों को अंतरिक्ष भेजा जाना था.
भारत-सोवियत संघ संयुक्त अंतरिक्ष मिशन
सोवियत संघ के नेता लियोनिद ब्रेझनेव ने 1980 में भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भारत-सोवियत संघ संयुक्त अंतरिक्ष मिशन का सुझाव दिया था. मिशन के तहत भारतीय वायुसेना (IAF) के दो पायलट राकेश शर्मा और रवीश मल्होत्रा का चयन किया गया. दोनों ही वायुसेना में टेस्ट पायलट थे. राकेश शर्मा और रवीश ने सितंबर 1982 से यूरी गागरिन स्पेस सेंटर में अंतरिक्ष यात्रा का परीक्षण लिया था. राकेश शर्मा मिशन के सदस्य थे, जबकि रवीश मल्होत्रा बैकअप के रूप में चुने गए थे. सोवियत संघ से यूरी मालिशेव और गेनाडी स्ट्रेकालोव उनके साथ अंतरिक्ष यात्रा पर गए थे. सोवियत संघ ने भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सहयोग दिया था. भारत के उपग्रहों आर्यभट्ट (1975), भास्कर-1 (1979), भास्कर-2 (1981) की लॉन्चिंग, उपकरण, तकनीकी सहायता दी थी.
दुनिया के 138वें अंतरिक्ष यात्री
3 अप्रैल 1984 को सोवियत संघ के रॉकेट सोयूज टी-11 (SOYUZ T-11) अंतरिक्ष यान ने शाम 6.38 बजे बैकोनूर से उड़ान भरी थी. लॉन्च के 9 मिनट बाद अंतरिक्ष यान अपनी पूर्व निर्धारित कक्षा में प्रवेश कर गया था. उड़ान के कुल 25 घंटे बाद सोयूज अंतरिक्ष स्टेशन सैल्यूट से जुड़ गया था. इस अभियान के बाद राकेश शर्मा अंतरिक्ष यात्रा पर जाने वाले 138वें मानव और पहले भारतीय बने थे. जबकि भारत अंतरिक्ष में मानव भेजने वाला 14वां देश बना था.
अंतरिक्ष से खींची थी भारत की फोटो
अंतरिक्ष यात्रा पर गए पूरे दल ने स्पेश स्टेशन पर 7 दिन बिताये थे. ये अंतरिक्ष स्टेशन पृथ्वी से 200 किलोमीटर ऊपर था और उसकी लगातार परिक्रमा कर रहा था. इसके बाद सभी अंतरिक्ष यात्री 11 अप्रैल 1984 को धरती पर लौट आए थे. अपने साथ दिन के प्रवास में राकेश शर्मा फिट रहने के लिए अंतरिक्ष स्टेशन में योगा करते थे. उन्होंने अंतरिक्ष से भारत के अलग-अलग हिस्सों फोटो ली थी. जिनका उपयोग बाद में रिसर्च में किया जाना गया. राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से बातचीत भी की थी. प्रधानमंत्री ने उनसे पूछा था कि अंतरिक्ष से भारत कैसा लगता है. इस पर राकेश शर्मा ने कहा था के ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा.’
अशोक चक्र से हुए सम्मानित
राकेश शर्मा का जन्म पंजाब के पटियाला में 13 जनवरी 1949 को हुआ था. उनका बचपन हैदराबाद में बीत, वहीं से उन्होंने अपनी पढ़ायी पूरी की. एनडीए के माध्यम से वो 1970 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए. मिग-21 जैसे आधुनिक विमान उड़ाने में उनका कोई सानी नहीं था. अंतरिक्ष यात्रा से लौटने के बाद भारत सरकार ने उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया था. जबकि सोवियत संघ ने हीरो ऑफ द सोवियत यूनियन खिताब देकर सम्मानित किया था. 2001 में वो भारतीय वायुसेना से सेवानिवृत्त हो गए थे. वर्तमान में तमिलनाडु के कुन्नूर में अपने परिवार के साथ रहते हैं.
क्यों होता है टेस्ट पायलट का चयन
टेस्ट पायलट सभी तरह के विमान उड़ाने का अनुभव रखते हैं. इनकी यही खूबी अंतरिक्ष यात्रा के लिए चयन में काम आती है. क्योंकि ये सभी पायलट से सर्वश्रेष्ठ होते हैं. चंद्रमा पर पहला कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रांग भी टेस्ट पायलट थे. अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन (ISS) जाने वाले ग्रुप कैप्टन शुभांशु सक्सेना भी टेस्ट पायलट हैं. उन्हें 2 हजार घंटे की उड़ान का अनुभव है. वह फाइटर कॉम्बैट लीडर और टेस्ट पायलट हैं. शुभांशु को एसयू-30, एमकेआई, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर, एएन-32 सहित कई अन्य विमान उड़ाने का अनुभव है.
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