Ritesh Agarwal: OYO के संस्थापक और सीईओ रितेश अग्रवाल ने हमेशा नेतृत्व को केवल पद तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे अपने कार्यों से साबित किया है. मुंबई टेक वीक 2024 के दूसरे संस्करण में 1 मार्च को बोलते हुए उन्होंने एक ऐसा पहलू साझा किया जिसने कई लोगों को चौंका दिया—वह आज भी अपने होटलों के वॉशरूम साफ करते हैं.
उन्होंने कहा, “मैं अब भी कभी-कभी वॉशरूम साफ करता हूं , यह एक रोल मॉडलिंग एक्सरसाइज है.” उनका संदेश स्पष्ट था—नेतृत्व केवल पदवी का नाम नहीं, बल्कि अपने कार्यों से मिसाल कायम करने की प्रक्रिया है.
विनम्रता बनाम पद का अभिमान
रितेश अग्रवाल ने सफलता के लिए अहंकार, डर और शर्म को छोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा, “एक उद्यमी के रूप में पहले दिन से ही आपको डर, शर्म, अहंकार और घमंड जैसी सभी चीजों को बाहर छोड़कर अंदर आना होता है, क्योंकि ये ही सफलता के सबसे बड़े दुश्मन हैं.” यह बयान उन्होंने उद्यमिता में असफलता के डर को कैसे दूर किया जाए, इस पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में दिया. उन्होंने युवा उद्यमियों को आत्मविश्वास और लचीलेपन के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा दी.
महाकुंभ में भावनात्मक अनुभव
व्यवसाय से इतर, रितेश अग्रवाल ने हाल ही में प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में महाकुंभ मेले की अपनी एक व्यक्तिगत अनुभव साझा किया. उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने बेटे आर्य के साथ नाव की सवारी का एक वीडियो पोस्ट किया और अपनी दो दशक पुरानी यादों को ताजा किया.
उन्होंने लिखा, “महाकुंभ में पहली बार अपने बेटे आर्य के साथ खड़े होकर, मेरी खुद की पहली यात्रा की यादें उमड़ पड़ीं. तब मैं खुद को बहुत छोटा महसूस करता था, लेकिन एक बड़े इतिहास और संस्कृति का हिस्सा भी. आज, मैं उसके साथ खड़ा हूँ, उम्मीद करता हूं कि वह अपने जवाब, अपनी आस्था और अपनी राह खुद खोजे. यह सिर्फ एक परंपरा नहीं है, यह एक विरासत है—आस्था, उम्मीद और सपनों को सच करने की हिम्मत की विरासत.”
नेतृत्व की जड़ों में सीखने और प्रभाव का भाव
रितेश अग्रवाल का नेतृत्व दर्शन केवल व्यापार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विनम्रता, सीखने और सकारात्मक प्रभाव डालने की सोच से प्रेरित है. चाहे वह अपने व्यवसाय में उदाहरण पेश करने की बात हो या अपनी आस्था और संस्कृति को संजोने की, उनका सफर एक प्रेरणा बन गया है.
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